रोटियाँ भी जल जाती है
मेरे भूख की तेज आँच से
पिघल जायेगें तुम्हारें
मोम के शेर
मेरी परछाई के धाह से
मेरे वजूद को भूल जाओं
अब आजाद कर दो मुझे
अपनी पनाह से
घिसोगें मुझको तो
तुम्हारें हाथ जल जायेगें
मुझे बख्श दो मेरे आका
अब
मै अलादीन का चराग नही हूँ ॥
-----------------शिव शम्भु शर्मा
मेरे भूख की तेज आँच से
पिघल जायेगें तुम्हारें
मोम के शेर
मेरी परछाई के धाह से
मेरे वजूद को भूल जाओं
अब आजाद कर दो मुझे
अपनी पनाह से
घिसोगें मुझको तो
तुम्हारें हाथ जल जायेगें
मुझे बख्श दो मेरे आका
अब
मै अलादीन का चराग नही हूँ ॥
-----------------शिव शम्भु शर्मा
No comments:
Post a Comment