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Saturday 31 March 2012

गुलाम

रोटियाँ भी जल जाती है
मेरे भूख की तेज आँच से
पिघल जायेगें तुम्हारें
मोम के शेर
मेरी परछाई के धाह से
मेरे वजूद को भूल जाओं
अब आजाद  कर दो मुझे
अपनी पनाह से
घिसोगें मुझको तो
तुम्हारें हाथ जल जायेगें
मुझे बख्श दो मेरे आका
अब
मै अलादीन का चराग नही हूँ ॥
-----------------शिव शम्भु शर्मा 

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