अनावृत
स्वागत है आपका ।
Sunday 4 November 2012
दवा
माँ अब उंचा सुनती
बिस्तर पर सिकुडी
रहती
खांसती भी है
खंखार से बहुयें होती
अब खूंखार
बहुओ को खांसी की
दवा पता है
किसकी बारी है आज
जरूरी यह है ।
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