लेखक कवि शायर फ़नकार जैसे कलाकार
किसी धर्म जाति संप्रदाय से बंधे नही होते
क्यों बांधते हो इन्हें तुम अपने दायरों में ?
ये दायरों की दरारों मे नही होते
ये शख्स पुरी कायनात के लिये होते है
और
जो बंधे होते हैं रस्सियों में
जो रहते हैं तंग बस्तियों में
वे लोग चाहे जो भी हो जाए
मेरी समझ से
इस फ़न के वाजिब हकदार नही होते ।
----------श्श्श
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