हमें ठंड नही लगती
जेठ की धूप नही जलाती
और बारिश भी नही गलाती
हम घी नही है कि
जम जायेगें
हम फ़ूल नही है कि
कुम्हला जायेगें
हम बताशें नही है कि
गल जायेगें
तुम हमें देख नही सकते
समझ भी नही सकते
वो इसलिये कि
तुम आदमी हो
हम आदमी नही है
तुम्हारी तरह कि
बता सके मौसम का लब्बोंलुआब
हम हाड मांस के चलते फ़िरते
अस्थिपिंजर है
मशीनो की तरह
..........मशीन है ।
----------------शिव शम्भु शर्मा ॥
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