स्वागत है आपका ।

Tuesday 15 January 2013

चार सिरफ़िरे


चार सिरफ़िरे
*************************
एक ने कहा --गांधी ने  दिलवायी है -आजादी
दुसरे ने कहा--नही गरम आंधी ने  दिलवायी है -आजादी
तीसरे ने कहा -- अरे ! नही ! ये लडे जरूर मगर  इन दोनों से कुछ नही हुआ न कुछ होना था
असल में मेरे दादा जी दुसरे महायुद्ध में लडने जर्मनी गए थे
जो लौट कर वापस नही आए
उनकी ही फ़ौज ने दिलवायी  है -आजादी
चौथें सिरफ़िरें ने कहा - देख अब ज्यादा हांक मत , और सुन शेखियां न बघार , हमें पागल न जान
दुसरे महायुद्ध में लुटे पिटे हारें  अंग्रेज ही इस काबिल  नही बचे रहे कि चला सके तेरा ये हिन्दुस्तान ॥
---------------------श्श्श । (एक सिरफ़िरे की डायरी )



No comments:

Post a Comment