चार सिरफ़िरे
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एक ने कहा --गांधी ने दिलवायी है -आजादी
दुसरे ने कहा--नही गरम आंधी ने दिलवायी है -आजादी
तीसरे ने कहा -- अरे ! नही ! ये लडे जरूर मगर इन दोनों से कुछ नही हुआ न कुछ होना था
असल में मेरे दादा जी दुसरे महायुद्ध में लडने जर्मनी गए थे
जो लौट कर वापस नही आए
उनकी ही फ़ौज ने दिलवायी है -आजादी
चौथें सिरफ़िरें ने कहा - देख अब ज्यादा हांक मत , और सुन शेखियां न बघार , हमें पागल न जान
दुसरे महायुद्ध में लुटे पिटे हारें अंग्रेज ही इस काबिल नही बचे रहे कि चला सके तेरा ये हिन्दुस्तान ॥
---------------------श्श्श । (एक सिरफ़िरे की डायरी )
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