अनावृत
स्वागत है आपका ।
Sunday 3 February 2013
अदृष्य
कभी
वे भी हमारी तरह थे
महत्व उनका
उनलोगो ने बढा दिया
जो उनकी ही तरह थे
हत्यारें
सोने के कटोरे की तलें की धूल
नही दिखती कभी
हवा की तरह रहती है
अदृष्य
-------शिव शम्भु शर्मा ।
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