स्वागत है आपका ।

Thursday 21 February 2013

साकार


आप लिखते है ---
लेख कविता कहानी उपन्यास
बनाते है कार्टून
बनाते लिखते रहि्ये

छापते रहिये
छपवाते रहिये

बेचते रहिये किताबें
--लो दही लो दही
के हांके लगाते रहिये

कुछ बिक जाए तो
मगन हो जाइये फ़ूल कर कुप्पा-टुप्पा हो जाइये
और मान लीजिये कि आप है एक उम्दा साहित्यकार
और बटोरते रहिये  इसके एवज मे नाम के तगमें व पुरस्कार

अपना खून जलाते रहिये
अपना पैसा गलाते रहिये

कभी आपने यह सोचा भी है कि
आपका लिखा देखता पढता कौन है ?

---कुछ निठल्ले
---कुछ अधपगलाये
---कुछ यात्री
---कुछ शौकिया किस्म के लोग बस
---फ़िर सब फ़ुस्स.....

जहां तक जिन तक पहुंचना चाहिये वहां तक कभी पहुंच पाता है ?
---खैर छोडिये जाने दीजिये इससे आपको क्या मतलब ?

--सकारात्मक सोचते रहिये
साकार सोचने से सब प्रकार के आकार अपने आप साकार हो जाता है

अगर स्वयं के लिये लिखते है तो यह बहुत अच्छी बात है
मै भी तो यही कर रहा हूं फ़िर लिखते रहिये
मुझे भी यह अच्छा लगता है ।
-----------------------श्श्श ।

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