तुम नही जानते दुख
क्या होता है
और क्या होता है
शोक
कितना अंतर है दोनो
में
तुम नही समझ सकते
कितनी मोटी लकीर
से अलग अलग है दोनो
दुखों पर मुस्कुराना
आसान हो भी जाए शायद
पर शोक पर मुस्कुराना
एक पागलपन ही होगा
या फ़िर होगी कोइ
ज्ञान की चरम अवस्था
शोक सालता ही नही
मार डालता है
शब्द बिला जाता
है तब
शोक एक उंची लहरों
की तरह आता है
और अपने साथ
लेकर चला जाता है
सबकुछ
कोई निशान तक भी
नही छोडता
तुम नही समझ सकते
सारी कविताए कहानियां
संगीत और ढांढस भी
तब पास नही फ़टकते
बचा रह जाता है
बस एक मौन
अनंत को निहारती
केवल दो फ़टी उदास आंखे
और रह जाती है एक
चिर प्रतीक्षा जिसे
वक्त के सिवा कोइ
दुसरा नही
समझ सकता
और न
समझा सकता है
यह तुम नही समझ
सकते ॥
----------------शिव
शम्भु शर्मा ।
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