अनावृत
स्वागत है आपका ।
Friday 1 March 2013
आनंद
स्वच्छंद सा एक
आनंद छुपा रहता है
मनचाही पढने
और लिखने में
खुद के लिखने के बनिस्पत
ज्यादा तवज्जों देता हूं
लोगो की कृतियां पढने में
फ़र्क नही पडता कुछ भी
एक समान सा
सुकून दोनो में है ।
----------------शिव शम्भु शर्मा ।
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