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भीड बहुत है
शोर बहुत है
कुछ कह नही सकता
कुछ सुन नही सकता
सर दुखने लगता है
मन कराहता है
इसलिये नही कि एकांत नही है
इसलिये नही कि मन शांत नही है
बल्कि इसलिये कि अपनो परायों
और अजनबियों के बीच
मैं कितना बेबश हूं
कितना अकेला
और स्वयं कितना
-अजनबी ।
----------शिव शम्भु शर्मा ॥
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