लोहा लोहे से कटता है
आक्सीजन एसीलीटीन के गैस के ज्वलित दबाव से
कट तो जाता है पर उतना साफ़ नही कटता
जितना कि कटना चाहिये
हवा के आक्सीजन से अक्सीडाइज्ड होना
जिसे जंग लगना भी कहते है
इससे सड सकता है मगर कट नही सकता
कवि फ़ूल से लोहे को काटता है
कवि का लोहा लोहा नही होता
कुछ और होता है
जो भी होता हो हुआ करें
कवि जो मरजी वह किया करे
मगर इस सच को नकारा नही जा सकता
किसी भी तरह
कि फ़ूल से लोहा कटता है
और आज तक कोइ भी विश्वकवि लोहा नही काट पाया
और न पायेगा यह प्रमाणित है
इस देश का जंग आलूदा लोहा कितना
चीमड है
सख्त है
जीवट है
गद्दार है
आज भी
----------------शिव शम्भु शर्मा ।
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