स्वागत है आपका ।

Saturday 23 March 2013

लोहा


लोहा लोहे से कटता है
आक्सीजन एसीलीटीन के गैस के ज्वलित दबाव से
कट तो जाता है पर उतना साफ़ नही कटता
जितना कि कटना चाहिये

हवा के आक्सीजन से अक्सीडाइज्ड होना
जिसे जंग लगना भी कहते है
इससे सड सकता है मगर कट नही सकता

कवि फ़ूल से लोहे को काटता है
कवि का लोहा लोहा नही होता
कुछ और होता है
जो भी होता हो हुआ करें
कवि जो मरजी वह किया करे

मगर इस सच को नकारा नही जा सकता
किसी भी तरह
कि फ़ूल से लोहा कटता है
और आज तक कोइ भी विश्वकवि लोहा नही काट पाया
और न पायेगा यह प्रमाणित है
इस देश का जंग आलूदा लोहा  कितना
चीमड है
सख्त है
जीवट है
गद्दार है
आज भी
----------------शिव शम्भु शर्मा ।

No comments:

Post a Comment