तुम्हारें आर्तनाद और चित्कार पर
तुम्हारें टुट कर बिखरने पर
तुम्हारें आंसुओं के बहते रहनें पर भी
कोई तुम्हारें पास नही आने वाला
कुछ झूठी रस्मी दिलासाओं के सिवा
तुम्हारा दुख केवल और केवल तुम्हारा है
तुम्हारा खास अपना
किसी और का नही
मत दिखा
मत बुला
किसी और को मेरे भाई
सावधान !
इस मोड से आगे का रास्ता बंद है
आगे मौत है और कुछ भी नही
इससे पहले कि चकराकर गिर पडो
बैठ जाओं चुपचाप यही
आंसु कुछ थम जाए
तो लौट जाना अपनी देह में
मरना तो है ही आखिर एक दिन
इतनी जल्दी क्या है ?
---------------------------शिव शम्भु शर्मा ।
No comments:
Post a Comment