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Thursday 21 March 2013

गर्मियां


फ़िर से आ गई गर्मियां
तेज धूप ठंढी कुल्फ़ियाँ

ठेलों पे लुढकती लस्सीयां
आम पुदीनें की पन्नीयाँ

बर्फ़िली शरबतें अनाप सनाप
फ़िर बिलों से निकलेगें साँप

फ़िर से  छोडने के लिये नये
केंचुल और
जहरीलें फ़ुफ़कार की भाप ।
---------------शिव शम्भु शर्मा ।

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