अनावृत
स्वागत है आपका ।
Wednesday 10 April 2013
जबरन
कभी लोग मेरा मतलब नही समझते
कभी मैं लोगों का
अक्सर नियति के खेल में
मात खाना मेरी किस्मत है
जिसे जबरन मैनें ही गढा है
जिसमें केवल अपने मतलब को बेमतलब
देखना चाहता हूं
मैं ।
-----------------------शिव शम्भु शर्मा ।
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