झूठ रात-रात भर सिरहानें बैठकर
झूठे-झूठे सपने दिखाता रहता है
और सुबह जब खुलती है पलकें
तभी आ धमकता है फ़िर
दिन भर साथ-साथ बोलने के लिये
जब तक कि पलकें बंद न हो जाए
पुरी तरह
मरने के बाद भी
पीछा नही छोडता
सच यही है
यह समय कुछ ऎसा ही है
कुछ किया नही जा सकता जिसका
समय जो ठहरा
बदला नही जा सकता
इसे
यह रहेगा
और बढ-चढ कर ।
-------------------शिव शम्भु शर्मा ।
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