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कल मौकाए दस्तूर था
नेता जी आए
गाधी पर कुछ बोलना था
सो बोल गए
तालियां बजी
लड्डू बटे
लोग घर गए
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आज धर्मनिरपेक्षता पर गरज रहे है
कौमी एकता पर बरस रहे है
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मुझे पता है जनाब
बिना मुहूर्त के कोई शुभ काम नही करते
रोजे मे इफ़्तारी खाने गले मिलने जाते है
किन्तु अपनी
बराबरी के अपने ही सहयोगी अल्पसंख्यक के बेटे से अपनी बेटी
की शादी की बात सोच तक भी नही सकते
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मुझे पता है
इस देश में
गांधी और धर्मनिपेक्षता का अर्थ ।
---------------शिव शम्भु शर्मा ।
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