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Wednesday 23 October 2013

चाँद

सजधज कर वह चाँद को देर रात गये निहार रही थी
चाँद का कही पता नही था
जब चाँद निकला
तब खिलखिला कर हँस रहा था
अपने सगे के मनुहार पर
और
आदमी के आदमी होने के व्यापार पर ।
--------------शिव शम्भु शर्मा ।

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