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अब कवियों से
और कविताओं से डर लगने लगा है
पढने से पहले यह पता लगाना बेहद जरूरी है
कि कवि किस पार्टी का गुमाश्ता है
प्रकाशकों से यह विनम्र अनुरोध है
कृपया साहित्य की पुस्तकों के उपर
उनकी पहचान के तौर पर
उनकी राजनीतिक पार्टी का नाम बडे मोटे अक्षरों में
अनिवार्य रूप से छपवा दे
हम अपने मेहनत के पैसे और बहुमूल्य समय खर्च करते है
अब इतना तो हक बनता ही है हमारा ।
-------------------------------एक पाठक ।
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