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रूप और वासना के बीच
ही अक्सर
कहीं छुपा रहता है - प्रेम
कभी किताबों का रूप धरकर
बिकता है बाजारो में
कभी मौत की खबर बनकर
छा जाता है समाचारो में
अलग-अलग रूप धरकर
सजकर संवरकर
आता रहेगा
प्रेम
कोई रोक नही सकता किसी भी तरह
इसका आना
और तब तक यह आता रहेगा
जब तक कि पृथ्वी पर
जीवित रहेगी देह ।
--------------शिव शम्भु शर्मा ।
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