कट्टर
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कट्टर किसी भी धर्म का हो
संप्रदाय का हो
पार्टी का हो
किसी कुनबें या गिरोह का हो
या साहित्यिक विचार-धारा के किसी संगठन का हो
कट्टर सिर्फ़ और सिर्फ़ कट्टर होता है
और कुछ नही
जो कुछ वह समझता है
बस वही सत्य है
बैठ जाता है अपने सत्य पर
ढीठ--परुआ बैल की तरह
राह में
खेत में
अब उसे कितना भी मारों
पीटों
या काट ही दो उसे
वह उठेगा नही
बेहतर है उससे बचना
हमेशा के लिये
हर हाल में,. ।
------------------------श श शर्मा ।
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कट्टर किसी भी धर्म का हो
संप्रदाय का हो
पार्टी का हो
किसी कुनबें या गिरोह का हो
या साहित्यिक विचार-धारा के किसी संगठन का हो
कट्टर सिर्फ़ और सिर्फ़ कट्टर होता है
और कुछ नही
जो कुछ वह समझता है
बस वही सत्य है
बैठ जाता है अपने सत्य पर
ढीठ--परुआ बैल की तरह
राह में
खेत में
अब उसे कितना भी मारों
पीटों
या काट ही दो उसे
वह उठेगा नही
बेहतर है उससे बचना
हमेशा के लिये
हर हाल में,. ।
------------------------श श शर्मा ।
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