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Sunday 21 September 2014

फ़र्क

आज से नही
सदियों से  भिखारी हैं
चुंकि भीख मांगना अपने देश की एक संस्कृति है
और परंपरा भी

एक व्यवस्था भिखारी बनाता है
एक व्यवस्था भीख देती है

किसी को
भीख माँगते देख किसे अच्छा लगता है भला ?
भिखारन अगर  वृद्ध विधवा महिला हो तो और भी अच्छा नही लगता

अच्छा तो मुझे भी नही लगता
वरन कोफ़्फ़त होती है ऎसी दुर्दशा देखकर
पर कहुं तो कहुं आखिर किससे ?

अगर यही बात  कोई प्रसिद्ध /सांसद /महिला / अभिनेत्री कह दे
तो फ़िर क्या बात है ?
लोग टूट पडते हैं उस पर
सवाल करते है उसके महिला होने पर
अपने तरकश के बुझें तीर कमान निकाल कर

जैसे अब न बोलेगी दुबारा कभी वह
और मान लेते है
जैसे खत्म हो जाएगी यह भीख मांगने की परंपरा


और यही बात
कोई मुझ  अदना सा फ़िसड्डी आदमी कहे
तो कहता रहे अपनी बला से

सोचता हूं कितना  फ़र्क होता है
एक प्रसिद्ध और
एक गुमनाम के बीच ।
------------------------------श श 

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