स्वागत है आपका ।

Sunday 12 October 2014

फ़र्क

फ़र्क
***************
वे लोग जो मेरे घर नही आते
अमूमन
मैं भी उनके घर नही जाता

वे लोग जो मुझसे नही बोलते
मैं भी उनसे नही बोलता

वे लोग जो मेरा भला नही सोचते
मैं भी उनका भला नही सोचता

लेकिन कविता मेरी तरह नही है
एक फ़र्क है

मैं जिस तरह सोचता हूं और करता हूं
उस तरह कविता न तो सोचती है
और न करती ।
--------------------------श श श,।


No comments:

Post a Comment