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सबों के पास इतना धीरज नही होता
कि सुनकर उसका सामना कर सके
सच तीखी मिर्च सा जलता है आँख में
बौखला देता है आदमी को
बना देता है उसे इतना खुंखार
कि आदमखोर हत्यारा भी मुंद लेता है
अपनी आँखे शर्म से
सच झेलना सबके बस की बात नही होती
अक्सर
आत्महत्या तक कर लेते है
कायर
कलेजा चाहिए सच के सामने खडे रहने के लिए
सच को सच मानकर संघर्ष के साथ मुस्कुरा कर
जीते रहने के लिए ।
------------------------------श श श ।
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