अनावृत
स्वागत है आपका ।
Sunday 12 August 2012
मौत
भूख
रुदन
आह
कराह
आँसू
बेबशी लाचारी और मौत
के बीच खोजता हूँ
कुछ कविता जैसी
मुलायम सी कोइ मरहम
कुछ नही मिलता मुझकों
हो जाता मैं खाली हाथ
पुस्तकालयॊं की रेकों
पर पडी मिलती है
बेसुमार कवितायें
और
पुरस्कृत कवि
क्या करुं मै इनका ।
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