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Thursday 12 December 2013

वह लेस्बियन है या गे


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अब प्रेम की कविता देखते ही
चौक जाता हूं

कविता से नही
प्रेम से भी नही

उसके रचयिता से डरने लगा हूं

पता नही क्या निकले
प्रेम तो प्रेम है
पर प्रेम है किसका ?

वह लेस्बियन है या गे
यह जानना बेहद जरूरी हो गया है

क्योकि
कविता बडी नही होती कभी
कविता से कवि बडा होता है
हमेशा ।
-----------------------शिव शम्भु शर्मा ।

मीडियां


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हमें मीडियां हांकता है
हर रोज
सुबह से शाम तक

मवेशियो की तरह

एक दुसरे के चारागाह में चरते
दौडते रंभाते
हांफ़ते रहते है
हम
और शाम होते ही कुतरने लग जाते हैं

अपने हिस्से के सबसे
बडी खबर का समय
चुहों की तरह

यह जानते हुए भी कि मीडियां को कौन हांकता है ?
---------------------------शिव शम्भु शर्मा ।

Friday 6 December 2013

देह



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रूप और वासना के बीच
ही अक्सर
कहीं छुपा रहता है - प्रेम

कभी किताबों का रूप धरकर
बिकता है बाजारो में

कभी मौत की खबर बनकर
छा जाता है समाचारो में

अलग-अलग रूप धरकर
सजकर संवरकर
आता रहेगा
प्रेम

कोई रोक नही सकता किसी भी तरह
इसका आना

और तब तक यह आता रहेगा
जब तक कि पृथ्वी पर
जीवित रहेगी देह ।
--------------शिव शम्भु शर्मा ।