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Sunday 26 October 2014

चेहरा

कभी सोचा नही था
एक दिन ऎसा भी आएगा
और
मन भर जाएगा इस कदर

खिडकी के पार के उस उजास से
जिससे दीखता है - आदमी का चेहरा
बिल्कुल साफ़

बार-बार
वैसा का वैसा ही
जैसा कभी सोचा नही था ।
-----------------शिव शम्भु शर्मा।

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