कभी सोचा नही था
एक दिन ऎसा भी आएगा
और
मन भर जाएगा इस कदर
खिडकी के पार के उस उजास से
जिससे दीखता है - आदमी का चेहरा
बिल्कुल साफ़
बार-बार
वैसा का वैसा ही
जैसा कभी सोचा नही था ।
-----------------शिव शम्भु शर्मा।
एक दिन ऎसा भी आएगा
और
मन भर जाएगा इस कदर
खिडकी के पार के उस उजास से
जिससे दीखता है - आदमी का चेहरा
बिल्कुल साफ़
बार-बार
वैसा का वैसा ही
जैसा कभी सोचा नही था ।
-----------------शिव शम्भु शर्मा।
No comments:
Post a Comment