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Wednesday 23 October 2013

चापलुसी


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जनाब ईमानदार है
सृजन कर रहे है
यानी
अपना मकान स्वयं बना रहे है
बहुमुखी प्रखर प्रतिभा कुशाग्रबुद्धि की मति के धनी है

इनकी रचनात्मकता
रचनाधर्मिता उत्कृष्ट है
और इस सहगुणधर्मिता के एकलौते वारीश केवल जनाब है

इन्ही के सृजन की बदौलत कायम है अब तक की स्थापत्य कला
और देखो
दूर से दीख रही है जो
वह धवल ईमारत
जनाब की उपलब्धियो का एक दृष्टांत मात्र है

आओ इनसे दीक्षा ले
और करे
इनकों नमन ।
(कारीगरों मजदूरों का इसमे कही कोई जिक्र नही होता )
--------------------शिव शम्भु शर्मा ।

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