उनके कविता संग्रह को
एक रस निकालने वाली मशीन में पेरा
बस एक ही शब्द बाहर निकला
--प्रेम
कहानी संग्रह से निकला
---प्रेम जीवन है
और उपन्यास के संग्रह से निकला
--प्रेम समाज का जीवन है
इतनी बडी कवायद के खर्च का परिणाम निकला
बस ढाई अक्षर
जो एक फ़कीर संत मुफ़्त में दुनियां को बता कर चला गया है
मेरे मुंह से बेसाख्ता निकला ---लाहौल विला कूव्वत ।
--------शिव शम्भु शर्मा ॥
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