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Saturday 23 March 2013

भगत सिंह सुखदेव बिस्मिल की स्मृति में


भगत सिंह सुखदेव बिस्मिल की स्मृति में
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चाहते हो अगर कि सर उठाकर जिये
और चलें फ़ख्र से सीना तानें
इस देश की सडक पर

तो मेरी दो बातों पर गौर करना ऎ ! मेरे दोस्तों
दो ही रास्तें बचें है केवल अब

या तो बनो सरकारी अफ़सर
या फ़िर  बनो कोई लीडर

चाहे जिस भी जुगत से या
जिस किसी बगुला भगत की सोहबत  से

मगर बनों तो यही दोनो में से बनो
चुनो तो यही दोनो में से कोई चुनों

इसके सिवा  कोई राह बची नही है यहाँ

कि बदल सकोगे तुम इस देश की दुनियाँ
और बचा सको अपनी ईज्ज्त व आबरू

अगर ऎसा नही कर सकते तो फ़िर लिखते रहो
उनकी तरह जो देश बदलने के लिये भूकतें रहे

लडते रहे फ़ाँसी तक पर लटक गए
और चले गए साहित्य रचते -रचते


मेरी बात पर यकीन न हो तो देख लो
अपने देश के साहित्य के इतिहास के पोथें
और इसकी उपलब्धियाँ

क्या हुआ  है आज तक ? लूट के चोथें
और
महज गाल बजानें के थोथें के सिवा ।
-----------------------शिव शम्भु शर्मा ।


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