अनावृत
स्वागत है आपका ।
Friday 8 March 2013
मै प्रेम के खिलाफ़ नही हूं, मात्र निज अंत:--स्वार्थ युक्त अतिविशेष अतिरंजना के खिलाफ़ हूं ,जिससे किसी अन्य को कोई फ़र्क नही पडना चाहिये यह मेरी व्यक्तिगत सोच है ।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment