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लो मदनोत्सव खत्म हुआ
आज से फ़िर वही सब कुछ झगडें फ़साद टंटे
फ़ब्तियां चुगलियां जुगालियां लाठियां और डंटे
गंगा नहाकर सारे पाप धो लेने के मानिन्द
फ़िर से लौटकर आएगा
द्वेष मिटाने
हर बरस की मानिन्द
दुबारा
मदनोत्सव ।
-------------शिव शम्भु शर्मा ।
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