कविता
जब लत बन जाए
पान बीडी सिगरेट तम्बाकु शराब
जैसे बुरे व्यसनों की तरह
एक पाजी रोग की तरह जो
कभी नही छूटने वाली
तब उसका बहिष्कार कर देना उचित है
कविता
जब नाम कमाने का जरियां
मात्र पुरस्कार पाने का प्रदर्शन
किसी चोर इन्डस्ट्री की जीनत
मजबूर बाजार में बिकने की कीमत बन जाए
और
बंद हो जाए चोरों मुनाफ़ाखोरों के गोदामों में
अनाजों से भरी बोरियों की तरह
तब उसका तिरष्कार कर देना एकदम उचित है ।
----------------------शिव शम्भु शर्मा ।
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