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Saturday 30 March 2013

कविता




कविता
जब लत बन जाए
पान बीडी सिगरेट तम्बाकु शराब
जैसे बुरे व्यसनों की तरह

एक पाजी रोग की तरह जो
कभी नही छूटने वाली
तब उसका बहिष्कार कर देना उचित है

कविता
जब नाम कमाने का जरियां
मात्र पुरस्कार पाने का प्रदर्शन

किसी चोर इन्डस्ट्री की जीनत
मजबूर बाजार में  बिकने की  कीमत बन जाए
और
बंद हो  जाए चोरों मुनाफ़ाखोरों के गोदामों में
अनाजों से भरी बोरियों की तरह
तब उसका तिरष्कार कर देना एकदम  उचित है ।
----------------------शिव शम्भु शर्मा ।



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