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Sunday 31 March 2013

सजा


सजा
उस न्याय प्रणाली को कौन देगा
जो बीस बरस बाद फ़ैसला करता है
एक सजायाफ़्ता अभियुक्त का
महज हथियार रखने के जुर्म में
मूछों पर न्याय का  ताव देते

सजा
उस  व्यवस्था को कौन देगा
जो हिफ़ाजत नही कर सकता आवाम की
चंद आतंकवादियों के बरपाए कहर से
चिथडों से उडते बेगुनाहो के लोथ की

एक बार नही
बार-बार
जिनकी  कीमत चंद मुवाबजो के सिवा कुछ नही होता
तुम्हारी नजर में
एक रिवाज सा बना डाला है तुमने
बस बात खतम
तब
क्यो न रखे कोई हथियार अपने घर
अपनी हिफ़ाजत के लिये

चौदह करोड मामले अभी भी सड रहे है
ठंढी फ़ाइलों में
जिसका फ़ैसला
मुवक्क्विल की मौत के बाद भी संभव नही है
तिस पर तुम्हारी सारी सरकारी छुट्टियां अलग

क्यो नही बनाते हर अंचल में न्यायालय
जज नही है कि वकील नही है
कि नही है सीमेंट छड और जमीन
कौन से राजस्व की कमी है आखिरकर
कर लगाने का अधिकार भी तो तुम्हारे पास ही है
चलते हो ऎसे कि
निर्लज्ज कछुए भी शर्मा जाए

किस मुंह से  कहते हो खुद को सर्वोच्च
और चलते हो सजा देने न्याय करने

कौन  देगा तुम्हें सजा
इस शैतान की आंत की तरह लंबी तारीखों की
एवज में
यह तुम ही बता दो स्वयं

कब तक आस्था रखते रहे तुमपर
एक जिम्मेवार नागरिकता की गठरी
सर पर लादे
महंगाई की रोज फ़ैलती सडक पर ।
----------------------शिव शम्भु शर्मा ।

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